यूँ तो महक रही फुलवारी, चहक रहे डालों पे पक्षी , पर मिट्टी भी सहज नहीं है , स्वयं नर, यूँ तो महक रही फुलवारी, चहक रहे डालों पे पक्षी , पर मिट्टी भी सहज नहीं है , स...
तो समझिये बस निकट ही है सुख की भोर ! तो समझिये बस निकट ही है सुख की भोर !
तुम्हारी नज़रों में कविता है मेरे फिसलते मोती। तुम्हारी नज़रों में कविता है मेरे फिसलते मोती।
और जब दिल की कहीं तब तूने साथ रहने ना दिया। और जब दिल की कहीं तब तूने साथ रहने ना दिया।
हर शाम के बाद एक सवेरा जरूर होता है, अब एक दिन जरूर एक नया सवेरा होगा। हर शाम के बाद एक सवेरा जरूर होता है, अब एक दिन जरूर एक नया सवेरा होगा।
धीरज धरना सीखो प्यारे, वक्त तुम्हें गुर्राएगा । धीरज धरना सीखो प्यारे, वक्त तुम्हें गुर्राएगा ।